पप्पु: ब्रदर, जो दारू की बोतल के आस-पास के बटन होते हैं, वो क्यों होते हैं? चप्पू: क्यों? पप्पु: क्योंकि वो बोतल को समझते हैं, “तुझे कहाँ जाना है, और तुझे कितना जाना है।”
दारू और मोक्ष के बीच क्या समान है? जवाब: जब तक आपको नशा नहीं होता, तब तक आपको यह पता नहीं चलता कि क्या आपको मोक्ष है।
दारू पीने के बाद सोने के बाद क्या होता है? जवाब: जो आप अगले दिन सुबह याद करते हैं, वह केवल अफवाहें होती हैं!
दोस्त (नशे में): “तू जानता है, मैं जब दारू पीता हूँ तो मैं बहुत ही ब्रिलियंट बन जाता हूँ।” दूसरा दोस्त: “हाँ, जब तू दारू पीता है, तो सिर्फ खुद को ही ब्रिलियंट समझता है।”
एक आदमी बार बार दारू की बोतल खोज रहा था। उसका दोस्त पूछा, “तू बोतल क्यों ढूंढ रहा है?” वो आदमी: “बोतल में ‘खुदाई’ लिखी है, इसलिए खुदाई कर रहा हूँ।”
दारू पीने के बाद बहुत दुख हो रहा हो तो क्या करें? उत्तर: अगले दिन नामकरण कर लें, क्योंकि दरुआ में ही ‘दर्द’ छिपा होता है!
एक आदमी ने दोस्त से पूछा, “तुझे कैसे पता चलता है कि तू पर्याप्त दारू पी चुका है?” दोस्त: “जब मेरी बातों का कोई लोज नहीं होता, तब मुझे यह पता चलता है कि मैंने पर्याप्त दारू पी ली है!”
दारू की बोतल बड़ी हो या छोटी, एक ही बात है: “दिल सबके बड़ा होता है!”
वो दिन बहुत खराब था, तो एक आदमी दारू की बोतल के पास बैठ गया। उसका दोस्त पूछा, “क्या हुआ, यार?” उस आदमी ने मुँह में दारू की बोतल दिखाई और कहा, “ये देख, मेरा दिन और खराब हो गया!”
दरुआ पीने के बाद सबसे बड़ी समस्या क्या होती है? वो आदमी जो सबकुछ समझता है, वह एक शराबी दोस्त के साथ होता है!
दोस्त: “तूने कभी तो दारू छोड़ दीजिए!” शराबी: “मुझे दारू छोड़ देने का इरादा तो है, पर दारू मुझे छोड़ती ही नहीं!”
दोस्त: “भाई, तुझे तो अब सच्चा आत्मा दिख रहा है।” शराबी: “अरे, मेरे दोस्त, वो सच्चा आत्मा नहीं, सिर्फ तेज हो रहा है!”
अगर दारू के प्रति आपकी लव स्टोरी होती, तो यह कैसी होती? “मैंने उसे देखा, वो बोतल में आकर मुझे इंगलिश बोलने लगी, ‘Cheers!'”
एक शराबी ने अपने दोस्त से कहा, “तुझे पता है, दारू पीने से मेरे दिल को बहुत शांति मिलती है।” उसका दोस्त: “हाँ, तू जब बोतल को खत्म कर लेता है, तब तो तेरा दिल ही शांत हो जाता है!”
जब दरुआ पी लेने के बाद दरवाजा खोलने की कोशिश करते हैं, तो वो कैसे कहते हैं? “कृपया पासवर्ड डालें!”
एक शराबी अपने दोस्त से शराब की बोतल को देखकर बोला, “यार, ये बोतल बहुत ही प्यारी है।” उसका दोस्त: “तू कहाँ, ये बोतल तो सिर्फ तेरी ‘धडकन’ है!”
एक आदमी ने अपने दोस्त से कहा, “मैंने दारू की बोतल को तलाश की, पर नहीं मिली।” दोस्त: “शायद तूने उसकी भी पार्टी आयोजित की हो!”
एक आदमी ने बार बार दारू की बोतल देखकर कहा, “तू मेरे पास क्यों नहीं है?” उसका दोस्त: “क्योंकि मैं जानता हूँ कि जब तू दारू की बोतल के पास होता है, तो वो वाकई खाली होती है!”
शराबी: “यार, ये दारू की बोतल तो बिल्कुल नामकरण के लिए होती है।” दोस्त: “वाह, क्या नाम दिया है तूने?” शराबी: “बीयरजीत सिंह!”
अंत में, जब दरुआ से हो जाती है बात, तो एक बड़ी सच्चाई सामने आती है: “दरुआ का सबसे अच्छा मित्र, वो हँसी है, जो हमें उसके मजाक में ही खो जाने देती है।”